माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
Mata Jaaki Parvati Pita Mahadeva
Mata Jaaki Parvati Pita Mahadeva
Maathe Pe Sindhoor Sohe, Muse Ki Savari
Paan Chadhe, Phul Chadhe, Aur Chadhe Meva
Ladduan Ka Bhog Lage, Sant Kare Seva
Mata Jaaki Parvati Pita Mahadeva
Baanjhan Ko Putra Det, Nirdhan Ko Maaya
Surya Shaam Sharan Aye, Safal kije Seva
Mata Jaaki Parvati Pita Mahadeva
Kaamna ko Purn karo, Jug Balihari
Mata Jaaki Parvati, Pita Mahadeva
गणेश जी की आरती: विघ्नहर्ता की महिमा और वैज्ञानिक तथ्य
गणेश जी की आरती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सभी बाधाओं और समस्याओं को दूर करते हैं। गणेश जी की पूजा विशेष रूप से किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में की जाती है, ताकि कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सके। आइए, इस पावन आरती के पीछे के धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्यों को जानें।
धार्मिक महत्ता
गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है। उनका स्वरूप हमें जीवन की कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देता है:
- हाथी का सिर: यह बुद्धिमत्ता और ज्ञान का प्रतीक है।
- बड़ी सूंड: यह हमें सभी छोटी-बड़ी बातों पर ध्यान देने की प्रेरणा देता है।
- बड़ा पेट: यह जीवन में संतोष और धैर्य का प्रतीक है।
- चूहे की सवारी: यह बताता है कि हम अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पा सकते हैं।
गणेश जी की आरती का गायन न केवल भक्ति का माध्यम है, बल्कि यह हमारे मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा” जैसे भजन हमारे अंतर्मन को सुकून देते हैं।
वैज्ञानिक तथ्य
- ध्वनि चिकित्सा: गणेश जी की आरती में प्रयुक्त मंत्र और श्लोक एक विशेष ध्वनि तरंग उत्पन्न करते हैं। ये तरंगें हमारे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं और तनाव को कम करने में मदद करती हैं।
- समूह साधना: जब लोग मिलकर गणेश जी की आरती करते हैं, तो एक सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है। यह सकारात्मक ऊर्जा हमारे चारों ओर एक सुखद वातावरण का निर्माण करती है।
- श्वास नियंत्रण: आरती के दौरान गहरे और नियमित श्वास लेने की प्रक्रिया से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
आरती करने का सही तरीका: गणेश जी की आरती करने का एक विशेष तरीका होता है:
- साफ-सुथरी जगह: आरती की तैयारी के लिए एक साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
- दीपक और धूप: आरती में दीपक और धूप का विशेष महत्व होता है। ये वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
- भक्ति और श्रद्धा: आरती करते समय मन में भक्ति और श्रद्धा का होना बहुत जरूरी है। यह भक्ति हमारी आत्मा को गणेश जी से जोड़ती है।